हरिहरपुरी के सजल
सज्जनता औषधि स्वयं, करत सुखद उपचार।
संतों के मृदु भाव से, बहता रहता प्यार।।
मीठी वाणी में बसा, हुआ स्वास्थ्य का पुंज।
सज्जन करते बोल कर, मधुर सरस व्यवहार।।
स्वस्थ वही मानव सहज, जिसके अमृत बोल।
बात किया करता सरल, सदा शिष्ट आचार।।
दवा दुआ है प्रेम में, नित सज्जन के संग।
सज्जनता की नींव पर, खड़ा रहे संसार।।
गर्मजोश इंसान है, प्रभु का निर्मल धाम।
बना चिकित्सक कर रहा, रोगी का सत्कार।।
दुखी देखकर रो पड़े, उत्तम मानव ईश।
अति संवेदनशीलता, ही जीवन का सार।।
पावन मन मंदिर सदा, है औषधि का गेह।
मन वाणी सत्कर्म से, कर सबको स्वीकार।।
रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१
Haaya meer
02-Nov-2022 05:37 PM
Amazing
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Muskan khan
02-Nov-2022 04:58 PM
वेल डन
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Sachin dev
02-Nov-2022 04:29 PM
Nice 👌
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